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|| रामचरन ते बैर अब लीनौ ||
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चाउफ एन लाई चाल में कैसौ चतुर सुजान
होकर मद में मस्त तू रह्यौ भवौ को तान।
चाउ एन लाई बड़ौ कमीनौ भइया कैसी सपरी।।
हां लद्दाख आयकें जाने चौतरफा है घेरौ
होकर मद में चूर जंग कूं आय फटाफट हेरौ
सोतौ शेर जगाय तो दीनौ भइया कैसी सपरी।।
आस्तीन का सांप बना तू कैसी चाल दिखायी
मिलकर घात संग में कीनी तैनें बधिक कसाई
खंडित सब विश्वास करि दीनौ, भइया कैसी सपरी।।
खूनी उस चंगेज ने मुखड़ा तोड़ौ कैसौ तेरौ
अब भारत के वीरों ने तू चौतरफा है घेरौ
तेरौ चैन और सुख छीनौ, भइया कैसी सपरी।
और तेरी छाती पै चढ़कर मुहम्मद तुगलक आयौ
खैर मना ओ दुश्मन तैने नव जीवन तब पायौ
रामचरन ते बैर अब लीनौ, भइया कैसी सपरी।।
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